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भारत रत्न ए टू जेड | Bharat Ratna

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हैल्लो दोस्तों। आज हम फिर से आपके बीच आ गए हैं एक नई जानकारी लेकर। आप में से हर किसी ने भारत रत्न bharat ratna पुरस्कार का नाम तो बहुत बार सुना होगा। क्या आप जानते हैं कि भारत रत्न जो भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मानों में से एक है, इसकी शुरूआत कैसे हुई थी। शायद कई पाठकों का जवाब न में ही होगा। चलिए आज हम आपको भारत रत्न पुरस्कार के बारे में पूरी जानकारी देते हैं। हमारे आर्टिकल को लास्ट तक जरूर पढ़िएगा।

दोस्तों भारत के इस सर्वोच्च नाकरिक सम्मान की मुख्य रूप से शुरूआत करने का श्रेय अगर किसी को जाता है तो वो हैं भारत के प्रथम राष्ट्रपति डा. राजेन्द्र प्रसाद को। डा. राजेंद्र प्रसाद ने ही 2 जनवरी 1954 को भारत रत्न की शुरूआत की थी। ‘भारत रत्न’ वो पुरस्कार है जिसे अपने गले में धारण करने के लिए संघर्षों और मुसीबतों के पहाड़ को चीरते हुए देश के लिए मर मिटने का जज़्बा रखना पड़ता है। ऐसे लोग जो देश की आन बान और शान के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर करने को ततपर हैं केवल उन्हीं को मिलता है bharat ratna भारत रत्न सम्मान

आपको बता दें, जिन क्षेत्रों में यह सम्मान शुरूआती दौर में दिया जाता था वो क्षेत्र थे साहित्य, कला, सामाजिक क्षेत्र और विज्ञान के क्षेत्र। इन क्षेत्रों में जो भी व्यक्ति अपना सर्वश्रेष्ठ योगदान देता था उन्हें भारत सरकार की तरफ से यह सर्वोच्च नागरिक सम्मान दिया जाता था। हालांकि बाद में इस सम्मान को प्रदान करने के नियमों में बदलाव करके इसका दायरा बढ़ा दिया गया। फिर किसी भी क्षेत्र में देश की सेवा में लगे और अपना सर्वश्रेष्ठ योगदान देने वाले नागरिकों को यह सम्मान दिया जाने लगा था। भारत रत्न का पुरस्कार किसी भी जाति, धर्म या संप्रदाय की दीवार को भेद सकता है।

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भारत रत्न ए टू जेड | Bharat Ratna

दोस्तों, भारत रत्न पुरस्कार हर वर्ष तीन लोगों को दिया जाता है चाहे वो किसी भी क्षेत्र के क्यों न हों। वैसे ऐसा कोई नियम नहीं है कि यह सम्मान हर वर्ष दिया ही जाए। इस सम्मान के साथ 35 मिली व्यास वाले गोलाकार स्वर्ण पदक bharat ratna दिया जाता है। इसपर सूर्य देवता की तस्वीर छपी होती है और ऊपर की ओर हिन्दी भाषा में लिखा होता है ‘भारत रत्न’। इसमें नीचे की तरफ फूलों का गुलदस्ता बना रहता है। पीछे की तरफ अगर नजर डालें तो वहां शासकीय संकेत और आदर्श-वाक्य छपा होता है। बताते चलें कि इस पुरस्कार में दिए जाने वाले चिह्न को सफेद रंग की पट्टी या फीते में डालकर गले में पहनाया जाता है। हालांकि बाद में इसके डिजाइन में परिवर्तन कर दिया गया था।

भारत रत्न का तम्गा हासिल करने वालों में बहुत सी ऐसी शख्सियतें हैं जिनके नाम से आप चिर परिचित हैं। इनमें शामिल हैं भारत के पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, देश के पहले गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल तथा अटल बिहारी वाजपेयी। आप तक हमने जितने भी नाम आपको गिनवाए वो केवल देश के राजनेताओं के नाम हैं। चलिए अब आपको बताते हैं कि राजनेताओं से इतर और किन लोगों को भारत रत्न पुरस्कार से नवाजा गया है।

दरअसल भारत रत्न पाने वालों में भारत देश के वैज्ञानिकों, संगीत के क्षेत्र में देश का नाम रौशन करने वाले, ऐसे समाजसेवी जिन्होंने पर हित को ही धर्म मानकर दूसरों की सेवा में सर्वोच्च योगदान दिया। इसके अलावा ऐसे साहित्यकार जिन्होंने अपनी कलम की ताकत से अंग्रेजी हुकूमतों केे खिलाफ आवाज उठाई और देश की आजादी में अपना योगदान दिया। या फिर ऐसे साहित्यकार जिन्होंने समाज में फैली बुराइयों से लोगों को जागरूक किया और उन बुराईयों तथा कुप्रथाओं को देश bharat ratna से बाहर का रास्ता दिखाने का काम किया।

इसके अतिरिक्त ऐसे फिल्मकारों को भी इसमें शामिल किया गया है जिनका योगदान देश की प्रगति के लिए रहा। 1954 में जब इस पुरस्कार की शुरूआत हुई जो जिन तीन लोगों को यह सम्मान मिला उनमें देश के पहले गवर्नर जनरल सी राज गोपालाचारी, नोबेल पुरस्कार पा चुके वैज्ञानिक सी वी रमन, शिक्षविद और देश के पहले उपराष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन। हालांकि पहली बार यह सम्मान प्राप्त करने वाले शख्स bharat ratna थे डा. सी वी रमन।

दोस्तों, यह भारत के लिए गर्व की बात है कि इसकी शुरूआत से लेकर आज तक करीब 45 लोगों को यह सम्मान दिया जा चुका है। आपने ये कहावत को सुनी ही होगी ‘आग लगती है तो धुआं भी उठता है’। यही हुआ भी। जब इस पुरस्कार को विभिन्न क्षेत्र के लोगों को दिया जाने लगा तब एक समय ऐसा भी आया जब इस सम्मान पर ही सवाल उठने शुरू हो गए। जिस कारण से यह सम्मान विवादों में घिरा वो है इसकी चयन प्रक्रिया। दरअसल जिन लोगों को यह सम्मान देना होता है, उसके लिए देश के प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति के नाम एक सिफारिश पत्र भेजते हैं। इसके बाद जब उस सिफारिश पर राष्ट्रपति की मोहर लग जाती है तभी किसी को यह सम्मान दिया जाता है। अलग-अलग वर्गों से लोग प्रधानमंत्री के पास यह सिफारिश भेजते हैं। यह फैसला प्रधानमंत्री का होता है कि किसे यह पुरस्कार प्रदान किया जाए। यह निर्णय पूरी तरह से उस समय की सरकार पर निर्भर करता है कि किसे यह सम्मान मिलना चाहिए। यही कारण है कि अकसर सरकार पर भारत रत्न bharat ratna के राजनीतिकरण के आरोप विपक्षी पार्टियों द्वारा लगाए जाते हैं। एक बात तो माननी पड़ेगी, जिन लोगों को यह पुरस्कार मिलता है वो कोई आम नागरिक नहीं बल्कि खास होता है। खुद को संघर्षों की भट्टी में तपाकर देश का नाम रौशन करने वाले ही इसे प्राप्त कर सकते हैं।

बताते चलें कि, भारत रत्न केवल भारतियों तक ही सीमित नहीं है। यह विदेशियों को भी दिया जा सकता है। इसी कड़ी में शामिल हैं 1980 में ये सम्मान प्राप्त करने वाली इंसानियत की मूर्ति मदर टेरेसा। 1987 में खान अब्दुल गफार खान और 1990 में नेल्सन मंडेला को भारत रत्न bharat ratna से नवाजा जा चुका है।

चलिए अब एक अनोखे पहलू पर गौर कर लेते हैं जो भारत रत्न bharat ratna से जुड़ा है। जितने भी सर्वोच्च सम्मान प्रदान किए जाते हैं सब में कोई न कोई धनराशि दी जाती है। परंतु भारत रत्न एक ऐसा सम्मान है जिसमें न तो पैसा मिलता है और न ही कोई ऊंचा पद। फिर भी यह सम्मान हासिल करना भारतीयों का सपना रहता है। अब इस सम्मान को हासिल करने वालों को मिलने वाली सुविधाओं के बारे में भी जान लेते हैं। दरअसल, इण्डियन आर्डर ऑफ़ प्रेसिडेंस में ऐसे लोगों का पूरा ख्याल रखा जाता है। इन्हें सातवें दर्जे में शामिल किया जाता है। इन्हें सरकारी कार्यक्रमों और विदेशी राष्ट्राध्यक्षों के दौरे पर उन्हें विशेष तौर पर आमंत्रण दिया जाता है। ऐसे लोग जिस राज्य से आते हैं वहां उन्हें कई सारी सरकारी सुविधाएं दी जाती हैं। आपको ये जानकर हैरानी होगी कि शुरूआत में इस सम्मान को केवल जीवित लोगों को ही दिया जाता था लेकिन वक्त का पहिया ऐसा घूमा कि इसे मरणोपरांत भी दिया जाने लगा। यह बदलाव किया गया 1955 में। देश के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्रि को मरणोपरांत ये पुरस्कार मिला था।

दोस्तों, आप दांतों तले उंगली दबाने को मजबूर हो जाएंगे यह जानकर कि इस सम्मान को दो बार निलंबित भी किया गया था। मोरारजी देसाई के 1977 में सत्ता संभालते ही यह ऐलान किया गया कि नागरिक सम्मानों पर रोक लगाई जाए। जुलाई 13, 1977, ये वही तारीख थी जब इसका आधिकारिक तौर पर आदेश भी जारी कर दिया गया था। यह भी कहा गया कि जिन लोगों को ये सम्मान मिला है वो अपने नाम के साथ इस सम्मान का इस्तेमाल नहीं कर सकते। खैर, ज्यादा दिन तक इस व्यस्था को कायम नहीं रखा जा सका। 1980 में जब इंदिरा गांधी फिर से सत्ता में आईं तो उन्होंने इस रोक को हटा दिया। 1992 में एक बार फिर से किसी भी प्रकार का नागरिक सम्मान देने पर रोक लगी थी। इसका कारण था दो अलग-अलग हाईकोर्ट में डाली गई जनहित याचिकाएं। मध्य प्रदेश और केरल हाईकोर्ट में ये याचिकाएं दी गई थीं जिसमें इन सम्मानों की संवैधानिक वैधता पर प्रश्नचिह्न लगाया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने 1995 में इसपर लगी रोक को हटा दिया था।

नियम यह है कि इस सम्मान की सिफारिश प्रधानमंत्री ही करते हैं। यही कारण था कि जब एक बार 1955 में जब नेररू प्रधानमंत्री थे तो उन्होंने खुद का नाम इस लिस्ट में डाला और उन्हें यह सम्मान दिया गया। तो वहीं इंदिरा गांधी ने भी प्रधानमंत्री रहते हुए 1971 में यह सम्मान हासिल किया। बस फिर क्या था, विपक्षी दलों को मौका मिल गया। चारों ओर से आलोचनाओं के तीर दोनों प्रधानमंत्रियों पर चलने लगे।

1988 में जब राजीव गांधी की सरकार ने तमिलनाडू के पूर्व मुख्यमंत्री एम जी रामचंद्रन को यह अवाॅर्ड दिया तो फिर विवाद खड़ा हो गया। लोगों ने कहा कि अम्बेडकर और सरदार पटेल से पहले रामचन्द्रन को यह सम्मान देना पूर्णतः राजनीकि चाल है। जब 1992 में तत्तालीन सरकार ने नेता जी सुभाष चंद्र बोस को मरणोपरांत यह सम्मान देने का एलान किया गया। तो विरोधियों ने अपने तीखे तेवर दिखाए। इसके चलते कोलकाता हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका भी दी गई थी। विरोध की असली वजह थी कि भारत सरकार ने सुभाष चंद्र बोस की मौत को आधिकारिक तौर पर स्वीकार नहीं किया था। फिर भी उनको दिए गए सम्मान के पीछे मरणोपरांत शब्द जोड़ दिया था। मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा। 1997 में कोर्ट के आदेश के बाद इसे रद्द करना पड़ा। ऐसा पहली बार था जब किसी सम्मान की घोषणा करने के बाद उसे उस व्यक्ति को न दिया गया हो।

भारत रत्न पाने वाले सबसे युवा शख्स बने क्रिकेट के भगवान सचिन तेंदुल्कर। इन्हें 40 वर्ष की उम्र में भारत रत्न मिला। अगर सबसे उम्रदराज़् शख्स की बात की जाए तो समाजसेवी ढांडो केशव कार्वे का नाम सामने आता है। उन्हें यह सम्मान 100 साल की उम्र में दिया गया। अभी तक केवल तीन विदेशियों को ही भारत रत्न सम्मान मिला है। यह सम्मान पाने वाली पहली विदेशी महिला थीं मदर टेरेसा

दोस्तों, उम्मीद है आपको हमारी ये जानकारी पसंद आई होगी और आपने हमारा यह लेख पूरा और ध्यान से पढ़़ा होगा। ऐसी ही और जानकारियों के लिए बने रहिए ग्लोबल केयर के साथ।

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