ये है ब्लैक फंगस का काला सच | Black Fungus Disease

जैसा कि आप सब जानते ही हैं, कि इन दिनों कोरोना के चक्रव्यूह में पूरी दुनिया घिर चुकी है। अब तक पूरी दुनिया में लाखों लोगों की जान इस वायरस ने ले ली है। जहां तक नजर दौड़े हर तरफ लाशों का ढेर लगा हुआ है। इस बीमारी से जिन लोगों ने अपनों को खोया है, जरा उनसे पूछ कर देखिए कि उनके दिल पर क्या बीत रही है। ऐसे लोग ही कोरोना को गंभीरता से ले रहे हैं। इस बीमारी की रोकथाम के लिए सरकार ने लाॅकडाउन का भी सहारा लिया। अभी लोग इस बीमारी के कहर से बचे भी नहीं थे कि इन दिनों एक और बीमारी ने भारत में अपने पैर जमाने शुरू कर दिए हैं। उस बीमारी का नाम है म्यूकरमाईकोसिस। जितना अजीब इसका नाम है black fungus disease यह बीमारी उतनी ही अजीब है। आपको इस बीमारी के बारे में इस आर्टिकल के माध्यम से हम पूरी जानकारी देंगे। बस बने रहिए हमारे साथ।

चलिए सबसे पहले आपको बताते हैं कि आखिर ये बीमारी है क्या? दरअसल ये बीमारी कोरोना से ठीक हुए मरीजों या फिर कोरोना से ग्रसित मरीजों पर सबसे जल्दी अटैक करती है। इस बीमारी को ब्लैक फंगस black fungus disease के नाम से भी जाना जाता है। एक्सपट्र्स का मानना यह है कि यह बीमारी उन लोगों में आसानी से फैल जाती है जो पहले से किसी बीमारी से जूझ रहे होते हैं। चाहे वो कोरोना वायरस हो या फिर कोई अन्य बीमारी।

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ये है ब्लैक फंगस का काला सच | Black Fungus Disease

आपके मन में शायद ये दुविधा होगी कि ये वायरस नया है या पुराना? इसका पहला मामला कब पाया गया? तो चलिए आपकी इस दुविधा को हम दूर करते हैं और आपको बताते हैं इस वायरस का इतिहास। एक जानकारी के अनुसार यह वायरस कोई नया नहीं है। हां ये बात और है कि लोग इसे नया वायरस black fungus disease बता रहे हैं। दरअसल इस वायरस ने पहली बार जर्मनी में अपने कदम रखे थे।

वो समय था सन् 1885 जब पहली बार यह बीमारी सामने आई। उस समय जिस पैथोलाॅजिस्ट ने इस वायरस को देखा था उनका नाम है पाल्टाॅफ। इस खतरनाक बीमारी को ‘म्यूकरमाइकोसिस’ नाम देने वाले का नाम था अमेरिका के रहने वाले पैथालाॅजिस्ट आरडी बेकर। चलिए इसके बारे में एक रोचक जानकारी black fungus disease आपको देते हैं। दोस्तों, क्या आप जानते हैं 1943 में इस बीमारी को लेकर एक शोध छपा था।

जिस व्यक्ति ने इस बीमारी पर सबसे पहले जीत हासिल की थी उसका नाम है हैरिस black fungus disease । इसने सन् 1955 में इस बीमारी को सबसे पहले मात दी थी। वैसे तो ये बीमारी बहुत कम लोगों को होती है। न ही ये बीमारी कंटेजियस है। यानी कि किसी के छूने से ये बीमारी नहीं फैलती। यह इनफेक्शन क्यों हमारे लिए इतना खतरनाक है चलिए यह भी जान लेते हैं।

चिकित्सकों का कहना है कि अगर आपने थोड़ी सी भी लापरवाही कर दी इस इनफेक्शन का इलाज करवाने में तो ये हमारे लिए जानलेवा साबित हो सकता है। इसके कारण हमारी आंखों की रोशनी तक जा सकती है। या फिर मौत भी हो सकती है। ब्लैक फंगस black fungus disease साइनस के रास्ते हमारी आंखों को आसानी से अपना शिकार बना लेता है। फिर यह हमारे पूरे शरीर में फैल जाता है। इसके कारण मरीज की मौत न हो जाए इसलिए डाॅक्टरों को सर्जरी करके खराब हुए अंग को शरीर से अलग करना पड़ता है। यह इंफैक्शन हमारे जबड़े को भी इफेक्ट करता है।

चलिए अब आपको बताते हैं कि ये काम कैसे करता है। एक्सपट्र्स की राय यह है कि ऐसे लोग जो हवा में मौजूद रोगाणुओं के संपर्क में आते हैं उन्हें ये फंगस तुरंत अपना शिकार बना लेता है। इतना ही नहीं, हो सकता है यह फंगस आपकी स्किन पर भी विकसित हो जाए। अगर आपके स्किन पर किसी चोट का निशान है, स्किन में कट लग गया हो, रगड़ या फिर जलने के निशान से भी यह फंगस हमारी बाॅडी में एंटर कर जाता है।

आइए अब आपको black fungus disease ब्लैक फंगस के लक्षणों के बारे में बताते हैं। ब्लैक फंगस के मरीजों को सर में दर्द रहेगा। खांसी या फिर सांस फूलने की शिकायत रहेगी। इसके अलावा बुखार भी इन मरीजों को होगा। आंखों में लालपन या फिर दर्द की शिकायत। ऐसे लोगों का एक लक्षण यह भी है कि इनकी आंख फूल जाती है। या कई बार ऐसा भी होता है कि इन्हें एक ही चीज दो दिखाई देने लगती है।

कई बार म्यूकर माईकोसिस के मरीजों को दिखना भी बंद हो जाता है। ऐसा भी देखा गया है कि जिन लोगों को ब्लैक फंगस ने अपना शिकार बनाया है उनके चेहरे के एक तरफ काफी दर्द होगा और सूजन या सुन्न पन भी हो सकता है। इसके अलावा इन लोगों को दांदों की भी समस्या हो सकती है। जैसे कि दांत में दर्द होना, दांतों का हिलना, या फिर खाना चबाते समय दर्द होना। खांसते या वाॅमिटिंग करते समय बलगम से खून आना भी ब्लैक फंगस का लक्षण हो सकता है।

अब जान लेते हैं इसके बचाव के तरीके। इस फंगस से बचने के लिए लोगों को एक अच्छी आदत डालनी होगी जो कि शायद मुश्किल हो सकती है पर इंपाॅर्टेंट है। ऐसी जगहों पर जहां धूल-मिट्टी हो जैसे कंस्ट्रक्शन साइट आदि पर अगर जाना है तो मास्क जरूर पहन कर जाएं।

केवल मास्क पहनना ही जरूरी नहीं है। उसे अच्छे से पहनना भी जरूरी है। लोगों को ये ध्यान रखना होगा कि जब वो मास्क पहनें तो नाक और मुंह अच्छी तरह से ढंके हों। अगर आप मिट्टी, काई या इसी प्रकार की अन्य चीजो के पास जा रहे हैं तो आपको फुल स्लीव, ग्लव्स, जूते और ट्राउसर पहन कर जाना चाहिए ताकि कहीं से भी यह फंगस आपके शरीर में प्रवेश न करने पाए।

इसके अलावा आपको अपने आस-पास और अपने घर में तथा खुद की साफ-सफाई का भी विशेष ध्यान रखना होगा। डायबिटीज के मरीजों को अपनी शुगर लेवल कंट्रोल में रखनी होगी क्योंकि इन्हें ज्यादा खतरा है। इसके अलावा चिकित्सकों की ये जिम्मेदारी बनती है कि वो सीमित मात्रा में स्टेराॅयड की डोज आपको दें। अगर आपने अधिक मात्रा में स्टेराॅयड लिए तो आपको म्यूकर माइकोसिस होने का खतरा बढ़ जाएगा।

ताजा अपडेट्स के अनुसार भारत के विभिन्न राज्यों में ब्लैक फंगस ने अपने पांस पसार लिए हैं। अगर आकड़ों पर नजर डाली जाए तो देश में अब तक करीब 7251 ब्लैक फंगस के एक्टिव केस हैं। इनमें भी करीब 219 लोगों की मौत हो चुकी है। डाटा बेस पर नजर डालें तो महाराष्ट्र में इस बीमारी के लगभग 1500 केस सामने आए जिनमें 90 मरीज अपनी जान से हाथ धो बैठे हैं।

इसके बाद नम्बर आता है गुजरात का जहां पर इस फंगस के 1163 केस हैं जिनमें 61 लोगों की मौत हो गई। मध्य प्रदेश की बात करें तो यहां पर 575 केस सामने आए हैं। इसमें 31 लोगों की जान चली गई। हरियाणा राज्य में ब्लैक फंगस black fungus disease से 268 लोग प्रभावित हुए हैं और आठ की मौत हुई है। इसके अलावा देश की राजधानी दिल्ली में 203 केस आए हैं और एक व्यक्ति की मौत हो गई है। आपको बता दें कि चंडीगढ़, तेलंगाना, राजस्थान, असम, ओडिशा, गुजरात एवं पंजाब में इस बीमारी को महामारी घोषित कर दिया गया है।

तो आप भी इस बीमारी के प्रति सचेत हो जाइए। जो लक्षण हमने बताए हैं इनमें से कोई भी अगर महसूस हो तो तुरंत अपने डाॅक्टर से संपर्क करें। हमारे द्वारा दी गई जानकारी आपको कैसी लगी हमें कमेंट करके जरूर बताएं।

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