साधारण महिलाओं के असाधारण काम ने दिलाई पहचान | Indian Female Champions

नमस्कार दोस्तों, एक बार फिर से बीच हाजिर हैं हम लेकर कुछ खास और रोचक जानकारी सिर्फ आपके लिए। आज हम जिस विषय पर बात करने वाले हैं वो बहुत ही दिल्चस्प है। आप में से लगभग सभी की ये इच्छा होगी कि आपकी भी दुनिया में एक अलग पहचान Indian Female Champions हो। आपको भी पूरी दुनिया में लोग जानें। आपकी भी हर कोई रिस्पेक्ट करे।

कई बार आप में से कुछ लोग अपने इस लक्ष्य को पाने की और दुनिया में अपनी पेहचान बनाने की कोशिश करते हैं लेकिन परिस्थितियां कुछ ऐसी बन जाती हैं कि जिससे आप में से ज्यादातर लोग पीछे हट जाते हैं। या कई बार दूसरों की मदद करने की प्रबल इच्छा आपके अंदर होती है लेकिन आप उस इच्छा को कभी फैमिली के दबाव  Indian Female Champions के कारण या कभी पैसों की तंगी के कारण पूरा नहीं कर पाते।

कुछ लोग ऐसे भी होंगे जिन्होंने अपनी सभी प्राॅब्लम्स को दरकिनार करके नेक काम करना शुरू भी कर दिया होगा लेकिन कुछ चुनौतियां आने पर वो काम छोड़ दिया होगा। दोस्तों, अगर हम अपनी Indian Female Champions चुनौतियों से डरने लगे तो हम जीवन में कभी भी किसी भी काम में सफल नहीं हो सकते।

प्रसिद्ध कवि और एंग्री यंग मैन के पिता श्री हरिबंश राय बच्चन जी की एक बहुत ही सुंदर रचना है ‘कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती’। किसी काम को करने की इच्छा होना और उस काम को करने का संकल्प लेना। दोनों में बड़ा फर्क है। आप अगर दुनिया में अपने नेक काम से एक अलग पहचान बनाना चाहते हैं तो आपको इसके लिए एक संकल्प लेना होगा कि चाहे कुछ भी हो जाए आप उस काम से कभी पीछे नहीं हटेंगे और हर चुनौती का डट कर सामना करेंगे और जीतेंगे। तभी आप जीवन में सफल हो सकते हैं। आज हम आपको ऐसी ही कुछ साधारण महिलाओं Indian Female Champions के बारे में बताने जा रहे हैं जिन्होंने असाधारण काम करके लोगों में अपनी एक अलग पहचान बनाने में कामयाबी हासिल की है।

साधारण महिलाओं के असाधारण काम ने दिलाई पहचान | Indian Female Champions

प्रीति पाटकर 

वर्ष 1964 में माया नगरी मुंबई में एक ऐसी महिला का जन्म हुआ जिन्होंने एक साधारण परिवार से होते हुए भी असाधारण काम करके दिखाया है। कुछ लोग होते हैं जो पूरी दुनिया में अपने नाम की वजह से जाने जाते हैं। जैसे गौतम अडानी, धीरू भाई अंबानी, मुकेश अंबानी, आदि। लेकिन वहीं दूसरी ओर कुछ ऐसे लोग भी होते हैं जिन्होंने अपने काम के दम पर अपनी पहचान बनाई Indian Female Champions है और वो लोगों के बीच अपने काम की वजह से जाने जाते हैं।

मुंबई की रहने वाली प्रीति पाटकर को सभी प्रीति ताई के नाम से भी जानते हैं। ‘परहित सरस धरम नहीं भाई, पर पीड़ा सम नहीं अधिमाई’ प्रीति जी ने इस पंक्ति को सार्थक कर दिया है। ये सच भी है। जब हम दूसरों के लिए कुछ करते हैं तो हमारी अंतर आत्मा को एक प्रकार की संतुष्टि मिलती है। प्रीति ने एक साधारण गृहणी होते हुए भी लोगों के भले की सोची। पहले के जमाने में महिलाएं घर पर ही रहती थीं।

पुरुष प्रधान देश में लोगों का मानना था कि महिलाएं केवल घर के काम काज के लिए ही हैं। उन्हें बाहर जाने की आजादी नहीं होती थी। लेकिन जैसे जैसे समय बदलता गया ये सोच भी बदल गई Indian Female Champions और आज महिलाएं भी पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं।

वे भी नौकरी पर जा रही हैं और अपनी एक अलग पहचान बना रही हैं। अब ऐसी स्थिति में बाहर ऑफिस जाकर काम करने वाली महिलाओं के आगे जो सबसे बड़ी समस्या आती है वो है बच्चों की देखभाल। अगर कोई महिला अपने काम पर चली भी जाए तो भी उसका सारा ध्यान अपने बच्चों पर ही लगा रहता है।

वैसे तो इन महिलाओं के पास आया रखने का ऑप्शन है लेकिन जो प्यार और संस्कार बच्चों को एक मां से मिलता है उसकी जगह कोई और नहीं ले सकता। प्रीति पाटकर ने इन महिलाओं के दर्द को समझा और कामगार महिलाओं के बच्चों के लिए एक संस्था शुरू Indian Female Champions की है जो कि मुंबई के लाल बत्ती इलाके में है। उन्होंने काम पर जाने वाली माताओं के बच्चों की देखरेख का जिम्मा लिया है। इसके साथ ही प्रीति पाटकर एक और संस्था चलाती हैं जिसका नाम है ‘प्रेरणा’। इनकी इस संस्था में ऐसे बच्चों की मदद की जाती है जो किसी कारण वश यौन-शोषण और तस्करी का शिकार हो गए हैं।

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प्रतिमा देवी 

फ्रेंड्स, अब हम आपको बताते हैं ऐसी ही एक और असाधारण काम करने वाली महिला के बारे में। प्रतिमा देवी पिछले करीब 30 वर्षों से दिल्ली में ही रहती हैं और कूड़ा बिनने का काम करती हैं। इन्हें Indian Female Champions ‘दिल्ली की डाॅग लेडी’ के नाम से भी जाना जाता है। आपने अकसर देखा होगा कि लोग अपने घरों में कुत्तों को पालते हैं।

कुछ लोग इन्हें शौक के तौर पर पालते हैं। तो कुछ इन्हें इसलिए पालते हैं कि ज्योतिष के अनुसार इन्हें पालने की सलाह दी जाती है ताकि उनकी लाइफ में सब अच्छा रहे। कुछ लोग तो इन पेट डाॅग्स को अपने बच्चों की तरह पालते Indian Female Champions  हैं। इन्हें टाइम पर खाना खिलाना, इन्हें महंगी गाड़ियों में घुमाना।

जहां भी जाना इन्हें साथ लेकर जाना आदि। लेकिन जरा सोचिए, उन कुत्तों का क्या जिनका कोई पालनहार नहीं है। जिनकी मदद के लिए कोई हाथ नहीं बढ़ाता। इन्हें हम स्ट्रीट डाॅग्स कहते हैं। यानी कि सड़क पर घूमने वाले डाॅग्स। पालतू कुत्तों के लिए तो उनके मालिक घर बनवाते हैं, उन्हें ठंड न लग जाए इसलिए उन्हें कपड़े भी पहनाते हैं। लेकिन इन कुत्तों का घर तो खुला आसमान ही है।

इन्हें कोई भी खाना नहीं देता। इन डाॅग्स का सहारा बनीं हैं प्रतिमा देवी। वो अपने इलाके के आस पास रहने वाले कुत्तों को अपना दोस्त मानती हैं। इन स्ट्रीट डाॅग्स के लिए प्रतिमा देवी ने अपना सारा जीवन न्यौछावर कर दिया है। इन्होंने करीब 400 स्ट्रीट डाॅग्स की देखभाल करने का बीड़ा उठाया है।

रिचा सिंह 

असाधारण महिलाओं की लिस्ट में हमारे पास जो तीसरा नाम है वो है रिचा सिंह Indian Female Champions का। ये वो नाम है जो किसी पहचान का मोहताज नहीं है। इन्होंने दुनिया से कुछ अलग हटकर करने की सोची। दोस्तों जैसा कि आप जानते हैं, आज के दौर में हर चीज़् में काॅम्पीटीशन इतना बढ़ गया है कि चाहे कामकाजी लोग हों या फिर बिजनेस मैन, या फिर कोई एक्टर या एक्ट्रेस।

सभी में एक समस्या है जो काॅमन है और वो है अवसाद या डिप्रेशन। यह एक ऐसी गंभीर बीमारी है जिसके कई दुष्परिणाम देखने को मिलते हैं। रिचा सिंह बहुत ही पाॅसिटिव हैं और उन्हें लोगों की ऐसी समस्याओं का हम ढूंढना पसंद है जिसका हल निकालना किसी टेढी खीर से कम नहीं है।

आपको बता दें कि भारत में करीब 36 प्रतिशत लोग डिप्रेशन के शिकार हैं। ऐसे ही लोगों की मदद करने की ठानी है पूर्व आई आई टी छात्रा रिचा सिंह ने। उन्होंने ऐसे लोगों की मदद के लिए Indian Female Champions योर दोस्त डाॅट काॅम नाम से एक वेबसाइट शुरू की है। इसे जरिए वो डिप्रशन का शिकार हुए लोगों को उनकी समस्याओं का हल निकालने में सहायता करती हैं।

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प्रेमलता अग्रवाल 

बच्चों की जिम्मेदारी, परिवार की जिम्मेदारी। इन सबके आगे ग्रहणियों के अपने सपने कहीं पीछे रह जाते हैं। कुछ महिलाएं अपने सपनों को पूरा तो करना चाहती हैं लेकिन जिम्मेदारियों के बोझ तले उनके सपने अधूरे रह जाते हैं। लेकिन आज हम आपको एक ऐसी महिला की सफलता की दास्तान बताने जा रहे हैं जिन्होंने न केवल अपने सपनों को पूरा किया बल्कि हर ग्रहणी के लिए प्रेरणा बनीं।

हम बात कर रहे हैं दार्जिलिंग में जन्मी प्रेमलता अग्रवाल की। शादी के बाद ये झारखंड के जमशेदपुर में शिफ्ट हो गई थीं। प्रेमलता ऐसी पहली महिला हैं जिन्होंने दुनिया के 7 महाद्वीपों की सबसे उंची चोटियों पर फतेह हासिल कर वहां भादत का झंडा लहराया है

48 वर्ष की उम्र में उन्होंने सबसे उंची चोटी माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई की थी। उनके इसी कारनामे को देखते हुए उन्हें 2017 में तेंजिंग नाॅर्गे नेशनल एडवेंचर अवाॅर्ड से भी सम्मानित किया गया। इनके नाम लिम्का बुक ऑफ़ रिकाॅड्र्स में एक और रिकाॅर्ड भी दर्ज है।

वो रिकाॅर्ड है करीब 2000 किलोमीटर तक उंट की सवारी करने का रिकाॅर्ड Indian Female Champions । कहते हैं कि हर सफल इंसान के पीछे किसी न किसी का हाथ होता है। वैसे तो इनके जीवन में सफलता के पीछे कई लोगों का हाथ है मगर उनमें से एक हैं प्रसिद्ध पर्वतारोही बचेंद्रीपाल। इन्होंने प्रेमलता को मार्गदर्शन दिया और उनके सपनों को एक नई दिशा दी।

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