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माईग्रेन

दोस्तों, आज हम आपके लिए लेकर आए हैं एक विशेष बीमारी के बारे में जानकारी। इस बीमारी का नाम है माइग्रेन । एक रिसर्च के अनुसार भारत में तक़रीबन 15 करोड़ लोग इस बीमारी से पीड़ित हैं। माइग्रेन की समस्या ज्यादातर युवाओं में देखी गई है। रिसर्च में यह भी पाया गया है कि करीब 76 फीसदी महिलाओं और 24 प्रतिशत पुरुषों को यह समस्या होती है।

ऐसा माना जाता है कि ऐसे लोग जो किसी न किसी बात से मानसिक तनाव ले लेते हैं, ज्यादातर माइग्रेन की समस्या ऐसे ही लोगों को होती है। हमारी नसें फैलने और कुछ हार्मोन्स के अधिक मात्रा में स्रावित होने के कारण ये गंभीर बीमारी हो जाती है।

माइग्रेन को कई भागों में बांटा गया है। इनमें से कुछ है :-

  1. ऑरा युक्त माइग्रेन
  2. ऑरा रहित माइग्रेन
  3. आधारी माइग्रेन
  4. हेमिप्लेजिक माइग्रेन
  5. ऑप्थेल्मोप्लेजिक माइग्रेन
  6. सिरदर्द के बिना माइग्रेन ऑरा

चलिए इसके बारे में आपको विस्तार से बताते हैं। पहले आप जान लीजिये किस तरीके का माइग्रेन आपको है। हमारा ये आर्टिकल पूरा पढ़ेंगे तो आपको अपनी बीमारी से लड़ने में काफी मदद मिलेगी।

ऑरा युक्त माइग्रेन: जो व्यक्ति इस प्रकार के माइग्रेन से पीड़ित होता है उनमें कई प्रकार की परेशानियों से भरे लक्षण दिखाई देते हैं। ऐसे लक्षण आपको सिर दर्द होने से पहले दिखाई दे सकते हैं। इस प्रकार के माइग्रेन के लक्षणों की अवधि अकसर 20 मिनट से लेकर 60 मिनट यानी कि एक घंटे की होती है। ऐसा 20 प्रतिशत रोगियों में पाया जाता है।

ऑरा रहित माइग्रेन: माइग्रेन के अधिकतर रोगी ऑरा रहित माइग्रेन की पीड़ा को झेलते हैं। ऐसे रोगी असल में होने वाले सिर दर्द के दौरान ही माइग्रेन के होने वाले लक्षणों का सही मायने में अनुभव करता है। मगर आपको बता दें, माइग्रेन के पहले उन्हें ऐसा कुछ महसूस नहीं होता है कि जिसके कारण उन्हें अचानक ही बहुत अधिक दर्द शूरू हो जाए।

सिरदर्द के बिना माइग्रेन ऑरा: अगर ऐसे पीड़ितों की संख्या की बात की जाए जो असल में सर दर्द के बिना भी केवल मात्र माइग्रेन ऑरा का ही अनुभव होता है तो इनकी संख्या केवल 1 प्रतिशत ही है। अगर इन रोगियों के लक्षणों की हम बात करें तो ये हर रोगी में अलग-अलग होते हैं।

आधारी माइग्रेन: अब बात करते हैं आधारी माइग्रेन की। यह माइग्रेन की ऐसी दुर्लभ किस्म है जिसमें सबसे ज्यादा रोगी की आंखों पर असर पड़ता है। ऐसे रोगियों को दोहरी दृष्टि यानी कोई वस्तु दो दिखाई देना, संतुलन की कमी हो जाना, धुंधलापन हो जाने की समस्या रहती है। इसके अलावा ये रोगी ठीक प्रकार से बोल भी नहीं पाते हैं। कुछ रोगियों में तो बेहोशी की हालत तक हो जाती है। यह सबसे गंभीर प्रकार है माइग्रेन का। इसमें स्ट्रोक जैसे लक्षण हो जाते हैं। आपको बता दें कि इस प्रकार का माइग्रेन तभी हो सकता है जब या तो हमारे दिमाग या फिर हमारी गर्दन के पिछले हिस्से तक रक्त ठीक से न पहुंचे यानी रक्त संचार बाधित हो जाए तो ये बीमारी अटैक करती है।

हेमिप्लेजिक माइग्रेन: दोस्तों, माइग्रेन की ये स्टेज बेहद खतरनाक साबित हो सकती है। ऐसा इसलिए क्योंकि इस बीमारी में हमारी बॉडी के एक तरफ अस्थाई तौर पर पक्षाघात की समस्या हो जाती है। ऐसे माइग्रेन की शुरुआत अकसर बचपन में ही हो जाती है। इसका एक बहुत मजबूत पारिवारिक इतिहास भी हो सकता है। यानी कि यह बीमारी आपको हैरिडिट्री भी हो सकती है।

ऑप्थेल्मोप्लेजिक माइग्रेन: यह एक बहुत गंभीर प्रकार है माइग्रेन का। इस प्रकार का माइग्रेन ज्यादातर केस में युवाओं में देखा गया है। जो लोग इस बीमारी से पीड़ित होते हैं उनमें यह शिकायत कॉमन है कि उनकी आंखों को दाएं-बाएं घुमाने वाली मांसपेशियां कमजोर पड़ जाती हैं। इस तरह के माइग्रेन में पुतलियों का बढ़ना शामिल है। इसके अलावा आंखों को उपर और नीचे या दाएं-बाएं हिलाने में भी दिक्कत होती है। ऐसे मरीजों को ये भी शिकायत रहती है कि वो अपनी आंखों की उपर की पलक को नीचे गिराने में असहज महसूस करते हैं।

जिस हार्मोन में असंतुलन के कारण माइग्रेन होता है उसका नाम है रोटोनिन हार्मोन।

अगर महिलाओं में होने वाली माइग्रेन की दिक्कत पर नजर डालें तो हार्मोन्स में होने वाले बदलाव की वजह से ही उनमें ये रोग होता है। ऐसे कई सारे कारण हैं जिनकी वजह से महिलाओं में हार्मोनल बदलाव होते हैं। जैसे मासिक धर्म, गर्भधारण या फिर मोनोपाॅज।

चलिए कुछ अन्य कारणों के बारे में भी जान लेते हैं जिनसे माइग्रेन की बीमारी युवाओं में हो रही है

  • ज्यादा कैफीन का इस्तेमाल करना
  • नींद की कमी
  • देर रात तक जागते रहना
  • सुबह देरी से उठना
  • असंतुलित आहार
  • प्राकृतिक वातावरण
  • ज्यादा परिश्रम
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माइग्रेन से बचने के उपाय

दोस्तों, अगर आप माइग्रेन जैसी घातक बीमारी से बचना चाहते हैं तो हम आपको बताएंगे कुछ उपाय। इसके लिए आपको अपनी जीवन शैली में कुछ बदलाव लाने जरूरी हैं।

  • अगर आप गर्मी के दिनों में एयर कंडीशनर का प्रयोग करते हैं तो आपको एक बात का खास ख्याल रखना है कि आप एयरकंडीशनर में रहने से 15 से 20 मिनट के बाद बाहर जाएं। अगर आप अभी ठंडी हवा का आनंद ले रहे हैं और आप अचानक कुछ काम याद आने पर कमरे से बाहर चले गए तो ये आपके लिए खतरनाक होगा।

  • इसके अतिरिक्त जब आप बाहर तेज धूप में हों और घर आएं तो आते ही बहुत ज्यादा ठंडा पानी न पिएं। इसके अलावा आपको इस बात का भी ध्यान रखना होगा कि अगर आप बाहर धूप में निकलें तो धूप की किरणों को सीधा अपने शरीर पर न पड़ने दें। आप गाॅगल्स पहन कर या अपने चेहरे और हाथों को किसी कपड़े से ढंक कर ही बाहर जाएं। इसके अतिरिक्त आप छाते का प्रयोग भी कर सकते हैं।

  • हम जानते हें कि आप में से बहुत से लोगों को ट्रेवल करना बहुत पसंद होगा। लेकिन अगर आपको माइग्रेन से बचना है तो गर्मी के मौसम में खास तौर पर जून या जुलाई के दिनों में ट्रैवलिंग को अवाॅयड करना बेहतर होगा।

  • आपने अकसर ये सुना होगा कि हमें दिन में करीब आठ ग्लास पानी तो पीना ही चाहिए। इससे हमारा शरीर फिट रहता है। जो लोग दिन के आठ ग्लास पानी नहीं पीते वो डीहाइड्रेशन का शिकार हो जाते हैं। माइग्रेन की समस्या इसी कारण सबसे ज़्यादा होती है। इसलिए रोजाना आठ ग्लास या उससे ज्यादा पानी पीने की कोशिश करें।

  • आपको उमस भरे मौसम में ऐसी चीज़्ाों को लेने से बचना चाहिए जिनसे पसीना ज्यादा आता हो जैसे चाय या फिर काॅफी। याद रखें कि आपको ज्यादा मिर्च या मसाले दार चीज़्ाों को खाने से बचना होगा। साथ ही अपने ब्लड प्रेशर पर भी ध्यान देना होगा कि वो मेंटेन रहे।

  • इसके अतिरिक्त जो महिलाएं गर्भधारण कर चुकी हैं और वो अभी बच्चा नहीं चाहती हैं, ऐसी महिलाओं को एक्सपर्ट सलाह देते हैं कि गर्भनिरोधक गोलियांे का प्रयोग न करें। अगर करना भी है तो बहुत कम मात्रा में करें।

  • आपको अगर माइग्रेन से बचना है तो रोजाना सैर करने की आदत डालें। आप अगर घांस पर नंगे पांव दौड़ेंगे तो ये आपके दिल के साथ साथ आपकी आंखों के लिए भी फायदेमंद रहेगा। आपकी आंखों की रोशनी बढ़ जाएगी। इससे तनाव भी कम होता है और आपके हार्मोन्स भी बैलेंस होते हैं और माइग्रेन होने के संभावना कम हो जाती हैं।

  • आपको चाहिए कि आप रोज 30 मिनट योगा करें और साथ ही कुछ प्राणायाम को भी अपनाएं जैसे कपालभाति आदि।

  • माइग्रेन के मरीजों को अधिक मात्रा में नींबू, छाछ, नारियल पानी और सूप जैसी चीज़ों का सेवन करने की सलाह दी जाती है। साथ ही अधिक मात्रा में हरी सब्जियों का भी सेवन करें। नमक की सीमित मात्रा ही खाने में लें। कोल्ड्रिंक पीना भी आपके लिए घातक हो सकता है।

अंत में हम ये ही कहेंगे की आपका शरीर तंदरुस्त है तो आपका जीवन तंदरूस्त है। अगर फिर भी आपको माइग्रेन से सम्बंधित समस्या बढ़ती है तो आप जल्दी से जल्दी किसी अच्छे डॉक्टर से सलाह ले। कुछ और हेअल्थी लाइफस्टाइल की टिप्स जानने के लिए हमारी वेबसाइट पे पढ़ते रहिये।

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